Do Not Stand At My Grave And Weep-Mary Elizabeth Frye
Do not stand at my grave and weep, I am not there,I do not sleep, I am a thousand winds that blow, I am the diamond glints on snow, I am the sun on ripened grain, I am the gentle autumn rain, When you awaken in the morning's hush, I am the swift uplifting rush, Of quiet birds in circling flight, I am the soft starlight at night, Do not stand at my grave and weep, I am not there,I did not die.
Below is my hindi version of that poem:
मरने पे मेरे रोना मत,याद में मेरी थमना मत,
मै यहाँ नहीं,मै सोया नहीं,
मै इन चंचल बहती हवाओं में हूँ,
मै चमकती बर्फ़ के भाव में हूँ,
धूप में लहलहाती धान में हूँ,
पतझड़ में आते वर्षा बाण में हूँ,
शांत सुबाह में तुम्हे जगाने को,
मै हूँ जल्दी से तुम्हे उठाने को,
उड़ते पंछियों की ताल में हूँ,
रात में तारों के जाल में हूँ,
मरने पे मेरे रोना मत,याद में मेरी थमना मत,
मै यहाँ नहीं,मै मरा नहीं।